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कभी कभी लगता है.. चलता फिरता लाश हूं.. जब सोती हू

कभी कभी लगता है..
चलता फिरता लाश हूं.. 
जब सोती हूं तो लगता है,
कोमा में हूं..
सब कुछ सुनता हूं, देखता हूं, 
महसूस करता हूं..
न सोती हूं न जागती हूं, 
ना कुछ कहती हूं न कुछ रिप्लाई करती हूं..
न बंधन में  हूं न आज़ाद हूं_

©इतना ही कहना था
  #WritingForMe