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तन्हा सी रूह लिए कभी दर-बदर फ़िरते थे। मिलकर तुमसे

तन्हा सी रूह लिए कभी दर-बदर फ़िरते थे।
मिलकर तुमसे हम भी मुज़स्सिम हो गए हैं। ♥️ आइए लिखते हैं दो मिसरे प्यार के :)

♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) 

♥️ केवल 2 पंक्ति लिखनी हैं और वो भी प्यार की।

♥️ कृपया स्वरचित एवं मौलिक पंक्तियाँ ही लिखें।
तन्हा सी रूह लिए कभी दर-बदर फ़िरते थे।
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