ये बाबू कुछ खाने को दो ना, भागवान आपका भला करेगा। हट उधर हट की आवाज, समाज के गुजरते हालात। काठ का भिखारी है, रूह का आदमी है, दुनिया सतरंगी है, पल का आदमी है। भूखा भिखारी पेट से, या भूखा अमीर जेब से, आत्मा का मरना तय है, आदमी की नेक से। बाबा शायरी#