तेरे हाथों की लकीरों में मेरा नाम नही तो कोई बात नही तेरे जीवन मे मेरा साथ नही तो भी कोई बात नही हमसफ़र जो तेरा नसीब हो तुम को कबूल हो कोई बात नही बस एक पहली और आखिरी ख़्वाहिश है तू न माने तो सुन तुझे तेरे हाथों पर लगी इस मेहंदी की कसम है बस तेरे हाथों से बनी आखिरी चाय तो पिला दो मुझे Kunwarsurendra तेरे हाथों की लकीरों में मेरा नाम नही तो कोई बात नही तेरे जीवन मे मेरा साथ नही तो भी कोई बात नही हमसफ़र जो तेरा नसीब हो तुम को कबूल हो कोई बात नही बस एक पहली और आखिरी ख़्वाहिश है