मेरे कमरे के दरीचे से आसमान दिखता है कभी अब्र कभी धूप कभी चाँद दिखता है कभी तारों का बगीचा कभी तारिक़ लाचार दिखता है बारिश में जालों से टकराकर फुहारें अंदर आती हैं तूफान कभी बाहर कभी अंदर बवाल दिखता है मेरे कमरे के दरीचे से आसमान दिखता है दरीचा = खिड़की अब्र = बादल तारिक़ = अंधेरा #दरीचा #खिड़की #आसमान #diaryofdiksha #yqbaba #yqdidi #urduhindi_poetry #hindipoetry