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नित्य क्या है...? दो श्वासों के बीच की मध्यावस्था.

नित्य क्या है...?
दो श्वासों के बीच की
मध्यावस्था....!!!

इंद्रजाल में समाहित...
प्रत्येक जीवन में प्रतिबिम्बित,
नृत्यरत नटराज का महा नृत्य,
अंतस की.....
दो पंक्तियों के मध्य का
भरता अंतराल सा है... इंद्रजाल          = ब्रह्माण्ड
नृत्यरत नटराज = कंपायमान ऊर्जा
दो पंक्तियाँ      = ब्रह्म और स्व

उपनिषदों में नाद को ही ब्रह्म बताया गया है, नाद वह ध्वनि है जो अनंत और अनादि है हम इसे अक्षर ब्रह्म ॐ के नाम से जानते है, इससे उत्पन्न होने वाला कम्पन ..... ही सम्पूर्ण सृष्टि का कारण मात्र है... इसलिए नटराज को आधार माना गया है...
ब्रह्माण्ड इंद्रजाल है, इसकी तुलना मकड़ी के जाले से कर सकते है चहुँ दिशा में फैला हुआ जाला, उस पर गिरी ओस की बूँदे प्रत्येक बूंद में प्रतिबिम्बित जाला और अन्य बूँदे.... और हर प्रतिबिंम्ब में भी हम संपूर्ण जाले की छाया देख सकते है....हर बूँद आकार सहित सीमित है, और हर आकार उस पूर्ण आसीमित का रूप लिए हुए....ऐसे ही हम है, हम ब्रह्म से पृथक नही, बल्कि उसका ही प्रतिबिंम्ब है....
अपूर्ण पर पूर्ण...
अपने भीतर की दुनियाँ को जगृत हो कर देखे....🌹🌹
नित्य क्या है...?
दो श्वासों के बीच की
मध्यावस्था....!!!

इंद्रजाल में समाहित...
प्रत्येक जीवन में प्रतिबिम्बित,
नृत्यरत नटराज का महा नृत्य,
अंतस की.....
दो पंक्तियों के मध्य का
भरता अंतराल सा है... इंद्रजाल          = ब्रह्माण्ड
नृत्यरत नटराज = कंपायमान ऊर्जा
दो पंक्तियाँ      = ब्रह्म और स्व

उपनिषदों में नाद को ही ब्रह्म बताया गया है, नाद वह ध्वनि है जो अनंत और अनादि है हम इसे अक्षर ब्रह्म ॐ के नाम से जानते है, इससे उत्पन्न होने वाला कम्पन ..... ही सम्पूर्ण सृष्टि का कारण मात्र है... इसलिए नटराज को आधार माना गया है...
ब्रह्माण्ड इंद्रजाल है, इसकी तुलना मकड़ी के जाले से कर सकते है चहुँ दिशा में फैला हुआ जाला, उस पर गिरी ओस की बूँदे प्रत्येक बूंद में प्रतिबिम्बित जाला और अन्य बूँदे.... और हर प्रतिबिंम्ब में भी हम संपूर्ण जाले की छाया देख सकते है....हर बूँद आकार सहित सीमित है, और हर आकार उस पूर्ण आसीमित का रूप लिए हुए....ऐसे ही हम है, हम ब्रह्म से पृथक नही, बल्कि उसका ही प्रतिबिंम्ब है....
अपूर्ण पर पूर्ण...
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