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घर के बाहर गया था मैं उसके दरवाजे पर कुन्दी लगी थ

घर के बाहर गया था मैं उसके 
दरवाजे पर कुन्दी लगी थी।

 फिर गर्दन उठाकर झरोके को देखा
 वहाँ पर लकड़ी की खिड़‌की लगी थी 
 
फिर थोड़ा और ऊपर  छत की तरफ देखा
 तो छतभी अब सूनी पढ़ी थी

वो बंद झरोके और सूनी पडी छत
मानो कह रहे है
की जिसका तू दिदार करता था
तो तेरा इन्तजार करता रह गया

मौन रहकर भी मानो 
अलफ़ाज़ गहरे कह गया
इंतज़ार लम्हा-लम्हा किया
 ये इन झरोखों की गवाही है
 प्रेम अन्नंत करती थी 
 मुझे कहने की भी मनाही है

©Capital_Jadon #KhidkiSeDhoop
घर के बाहर गया था मैं उसके 
दरवाजे पर कुन्दी लगी थी।

 फिर गर्दन उठाकर झरोके को देखा
 वहाँ पर लकड़ी की खिड़‌की लगी थी 
 
फिर थोड़ा और ऊपर  छत की तरफ देखा
 तो छतभी अब सूनी पढ़ी थी

वो बंद झरोके और सूनी पडी छत
मानो कह रहे है
की जिसका तू दिदार करता था
तो तेरा इन्तजार करता रह गया

मौन रहकर भी मानो 
अलफ़ाज़ गहरे कह गया
इंतज़ार लम्हा-लम्हा किया
 ये इन झरोखों की गवाही है
 प्रेम अन्नंत करती थी 
 मुझे कहने की भी मनाही है

©Capital_Jadon #KhidkiSeDhoop