क्रंद रुदन में भी सन्नाटा सा,क्यूँ चीरहरण पर मौन सभी भगिनी,माता, बिटिया है वो,नहीं भोग है नरपिशाच की चीखें उसकी भी चुपचाप रह गई,जो पशुता उसने दिखलाई थी बेवस्त्र बदन के घाव,वेदना, देख के मानवता भी शर्माई थी क्यूँ आग लहू का जमा हुआ,क्या भुजदंडो में पानी है नारी की रक्षा में ही हे वीरों,था लंक जला और चक्र चला भर दो अब हुंकार जरा सा,दुंदुभि जरा बजाना है जो छूलेगा अब स्त्रीत्व किसी का,उसका नामोनिशां मिटाना है न तेरा कर्ज, न मेरा नाता पर सबको ये धर्म निभाना है ।।जो छूलेगा।। #aavran #life #humanity #respect #rape #murder #sad #cultures_at_war