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हर हथेली पर लिखी, इक नई कहानी। हम क्या चाहें, हम क

हर हथेली पर लिखी, इक नई कहानी।
हम क्या चाहें, हम क्या जाने,
बस दिल की सुनी, मन की जानी।
उनसे जुदा, इनसे मुलाक़ात,
है बस जीवन की निशानी।
तकदीर का लेखा  पढ़ न पाए,
कभी खुद से रुस्वा तो कभी ख़ुदा की मेहरबानी।।

©Faniyal
  #haathonkilakeeren