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'ग़ज़ल' कहते है लोग कभी सफ़र-ए-कायनात पर भी जाया

'ग़ज़ल'

कहते है लोग कभी सफ़र-ए-कायनात पर भी जाया तो करो,
कभी ख़ूबसूरत इमारतों की दीदारी भी फ़रमाया तो करो।

आंखे थक गई होंगी अब उस मोहतरमा को देखकर,
कभी तो उसपर से अपना ध्यान भी हटाया तो करो।

निगाह-ए-गाफ़िल को इंतजार है दीदार-ए-कायनात का,
कभी अपनी ख्वाहिशों से वफादारी भी निभाया तो करो।

पहाड़-ओ-समन्दर-ओ-वादिया और न जाने क्या-क्या,
कभी अपनी नज़रें 'उसपर' से इधर भी घुमाया तो करो।

गाम-ए-राही तड़प रहे है राह नापने को हर वक्त,
कभी बेजान से अपने पांवों को चलाया तो करो। #travelaroundtheglobe  
 #सफ़र_ए_कायनात
#निगाह_ए_गाफ़िल #दीदार_ए_कायनात
#पहाड़_ओ_समन्दर_ओ_वादिया
#गाम_ए_राही #बेजान
'ग़ज़ल'

कहते है लोग कभी सफ़र-ए-कायनात पर भी जाया तो करो,
कभी ख़ूबसूरत इमारतों की दीदारी भी फ़रमाया तो करो।

आंखे थक गई होंगी अब उस मोहतरमा को देखकर,
कभी तो उसपर से अपना ध्यान भी हटाया तो करो।

निगाह-ए-गाफ़िल को इंतजार है दीदार-ए-कायनात का,
कभी अपनी ख्वाहिशों से वफादारी भी निभाया तो करो।

पहाड़-ओ-समन्दर-ओ-वादिया और न जाने क्या-क्या,
कभी अपनी नज़रें 'उसपर' से इधर भी घुमाया तो करो।

गाम-ए-राही तड़प रहे है राह नापने को हर वक्त,
कभी बेजान से अपने पांवों को चलाया तो करो। #travelaroundtheglobe  
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