वो बचपन के दिन कब आए कब बीत गये !!! आँख मिचौली खेले जिन संग वो साथी सब छूट गये हँसी ठहाके और हुड़दंगे सारे हम सब भूल गये वो बचपन के दिन कब आए कब बीत गये !!! जब छोटी छोटी बातो से हम रूठ जाया करते थे माँ के भी मानने से हम ना माना करते थे चिढ़ते थे, चिढ़ाते थे फिर मान जाया करते थे| वो बचपन के दिन कब आए कब बीत गये !!! बचपन बीता आई जवानी रगो मे बहती नई रवानी हर पल अब एक नई कहानी हैं सब अब कारोबार के रिश्ते कौन अब मनाए हमको वो साथी सब छूट गये हँसी ठहाके और हुड़दंगे सारे हम सब भूल गये| #Bachpan#nojoto#writer#poetry.....