हाँ आजकल तुम्हारी बातें,मुझको भाने लगी है लगता, जैसे की खामोशियाँ भी बोलने लगी है मेरी रूह भी अब, तुम्हे चाहने लगी और उसे तो बिन मौसम,तेरे इश्क की बारिश बिगाने लगी है झिझक हुआ करती थी, तुम से बात करने पर अब तो तेरी हर बातें, मेरी दिल में रहने लगी है सुनी -सुनी सी रहा करती थी, ये कलाइयाँ मेरी पर अब तो तेरे हांथो की,"चूड़ी"पहनने लगी है दबा रखे थे जो मैंने,कुछ वक़्त से अहसासों को बताऊँ तुझको अबसब मेरी सांसें कहने लगी है चाहते थे तुम्हे,पर मोहब्बत का अंदाज़ा नहीं था मगर चाहतें मेरी, तेरी मोहब्बत पकड़ने लगी है हमेशा जज्बात मेरे, फ़क़त तुम्हे ही समझते रहे परअब तो नज़ारे,तुम्हें देखने को तड़पने लगी है तब "मोहब्बत"का जाम, मुझे पिलाते ही गए थे और अब तो"आयु"तेरे इश्क़ में, बहकने लगी है जब दूरियां दो दिलों के बीच, कम होने लगती है तभी बेपरवाही करने से,आंखे नम होने लगती है ---------------------------------💕--------------------------------- PLEASE DON'T RELATE MY PERSONAL LIFE. #love