कली-कली खिल रही इधर वह फूल-फूल मुस्काया है। धरती माँ की आज हो रही नई सुनहरी काया है। नूतन मंगलमय ध्वनियों से गुंजित जग-उद्यान करो। सरस्वती का पावन मंदिर यह संपत्ति तुम्हारी है। तुम में से हर बालक इसका रक्षक और पुजारी है। कली-कली खिल रही इधर वह फूल-फूल मुस्काया है। धरती माँ की आज हो रही नई सुनहरी काया है। नूतन मंगलमय ध्वनियों से गुंजित जग-उद्यान करो। सरस्वती का पावन मंदिर यह संपत्ति तुम्हारी है। तुम में से हर बालक इसका रक्षक और पुजारी है। शत-शत दीपक जला ज्ञान के नवयुग का आह्वान करो। उठो धरा के अमर सपूतो, पुनः नया निर्माण करो। उठो धरा के अमर सपूतो