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सांसे भरके गुब्बारें में चल पडा वो किस्मत आज़माने

सांसे भरके गुब्बारें में
चल पडा वो किस्मत आज़माने
हसता खिलखिलाता सफर था
मौज मस्ती में कट़ रहा था
सामने घना कोहरा था
निला आसमान पहाडों सा खडा था
सांवली घटा़ जब आ टकराई
मंद मंद जब वो मुस्काई
साथ उसे भी ले चला सफर पर
साथ खुबसुरत था ड़गर कठीण थी
संग जीने मरने की कसमें खाई थी
जोर से तब इक आॉंधी आई
गुब्बारे को चोंट पहुॅंचाई
घंटा भी आक्रोश से जम के बरसी
आॅंधी को औकात बताई
इस सब में अब देर हुई थी
गुब्बारें में सांसे कम थी
ख्वाब अधुरे छो़ड चला था
घटा से बिछडने का समय करीब था
सांसे छो़डता ज़मिन पे आ गिरा
हम जैसा ही सच्चा - साधा
कुछ जाना - पहचाना था गुब्बारा

शब्दवेडी #२४/३६५
#आम_आदमी_की_कहानी
सांसे भरके गुब्बारें में
चल पडा वो किस्मत आज़माने
हसता खिलखिलाता सफर था
मौज मस्ती में कट़ रहा था
सामने घना कोहरा था
निला आसमान पहाडों सा खडा था
सांवली घटा़ जब आ टकराई
मंद मंद जब वो मुस्काई
साथ उसे भी ले चला सफर पर
साथ खुबसुरत था ड़गर कठीण थी
संग जीने मरने की कसमें खाई थी
जोर से तब इक आॉंधी आई
गुब्बारे को चोंट पहुॅंचाई
घंटा भी आक्रोश से जम के बरसी
आॅंधी को औकात बताई
इस सब में अब देर हुई थी
गुब्बारें में सांसे कम थी
ख्वाब अधुरे छो़ड चला था
घटा से बिछडने का समय करीब था
सांसे छो़डता ज़मिन पे आ गिरा
हम जैसा ही सच्चा - साधा
कुछ जाना - पहचाना था गुब्बारा

शब्दवेडी #२४/३६५
#आम_आदमी_की_कहानी