दिल को इश्क़ और इश्क़ को संभोग की ज़रूरत होती है । जिस तरह मुझे तुम्हारी और तुझे मेरी ज़रूरत होती है ।। क्या कहे अब इश्क़ को आजकल इश्क़ ऐसी ही तो होती है । प्यार हुआ इक़रार हुआ दो चार बात हुई फिर संभोग हुआ ।। कहते है जी नही सकते उनके बिन , पर जी जाते है उन बिन । किसी और संग संभोग कर इश्क़-ए रूह की चाहत किसको है ।। बहूत कम मिलेंगे ऐसे आशिक़ जिन्हें रूह से मुहब्बत होती है । मै अपना सर नतमस्तक करता हुँ जिन्हें ऐसी मुहब्बत होती है ।। दिल को इश्क़ और इश्क़ को संभोग की ज़रूरत होती है । जिस तरह मुझे तुम्हारी और तुझे मेरी ज़रूरत होती है ।। क्या कहे अब इश्क़ को आजकल इश्क़ ऐसी ही तो होती है । प्यार हुआ इक़रार हुआ दो चार बात हुई फिर संभोग हुआ ।। कहते है जी नही सकते उनके बिन , पर जी जाते है उन बिन । किसी और संग संभोग कर इश्क़-ए रूह की चाहत किसको है ।।