ये उम्मीद फिर से नाउम्मीद हो रही है ये कहर जो बढ.रहा है किसी गरीब की भुख को फिर से बढ़ा रहा है ऐ खुदा ये फिर से तेरी मौजुदगी को झुठला रहा है जो कदम बढे थे फिर से ऱुक रहे है किसी मासुम की फिर से जान ले रहा है ऐ खुदा अब तु ही इसका हिसाब कर इस कोरोना का बस अब काम तमाम कर हाँ ये उम्मीद फिर से नाउम्मीद हो रही है ©Bhawana Pandey #Corona_Lockdown_