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होली के रंग ख़ुशी, मिलाप, भ्रमण, परिहास ये स्वभाविक

होली के रंग
ख़ुशी, मिलाप, भ्रमण, परिहास
ये स्वभाविकता का घोल
सहज ही आकर्षित करता है
हर आयू अपने अंदाज में
रंग में घुल जाता है
और,
इस आत्मा का श्रृंगार
रसायनिक रंगों से कर
हम रंग-बिरंगे हो जाते हैं
इस प्रथा की प्रतीक्षा
ठंडई के हाहाकार से 
एक दिवसीय से कई दिवसीय हो जाती है
हाँ जी, होली के रंग छूटते नहीं। बुरा मानने की तो प्रथा ही नहीं है।
#पटना कल होली खेलेगा और जीतेगा।

खूब खेलना होली भईया फिसलकर
एक भी रंग ना छूटे सम्भलकर।

समस्त जन को होली की हार्दिक शुभकामनाएँ।
सबके जीवन में अपनों का संग रहे, रंग रहे...
होली के रंग
ख़ुशी, मिलाप, भ्रमण, परिहास
ये स्वभाविकता का घोल
सहज ही आकर्षित करता है
हर आयू अपने अंदाज में
रंग में घुल जाता है
और,
इस आत्मा का श्रृंगार
रसायनिक रंगों से कर
हम रंग-बिरंगे हो जाते हैं
इस प्रथा की प्रतीक्षा
ठंडई के हाहाकार से 
एक दिवसीय से कई दिवसीय हो जाती है
हाँ जी, होली के रंग छूटते नहीं। बुरा मानने की तो प्रथा ही नहीं है।
#पटना कल होली खेलेगा और जीतेगा।

खूब खेलना होली भईया फिसलकर
एक भी रंग ना छूटे सम्भलकर।

समस्त जन को होली की हार्दिक शुभकामनाएँ।
सबके जीवन में अपनों का संग रहे, रंग रहे...