चुभो नश्तर की आखिरी सांस अभी बाकी है, जिस्म की तड़प और रूह की प्यास अभी बाकी है, कौन मयकदे में डुबो पाया है इश्क़ को, लगी है जो आग उसकी राख अभी बाकी है, यूँ भी ना सोच की यह दौर भी गुजर जायेगा, वक़्त के साथ तू भी गुज़र जाएगी और मैं भी गुजर जाऊँगा। -Vishnuuu X #वक़्त #इश्क़ #नश्तर = छोटा चाकू #मयकदा = शराब पीने का स्थान