एक दस्ता सांसें भर कर रह जाती है। कहते है चाहतों की दुनियां की सब भुला देती है, बेबसी बेकरारी अदाकारी भी मिटा देती है, बहुत गुरूर होता है लोगों को ख़ुद के होने का, ये उनके जीते जी उनका अस्तित्व मिटा देती है, हंसते हुऐ चेहरों से हंसी चुराती है, ये लोगों के दिलों में एक भ्रम पैदा कर जाती है, कोई किसी के बिना नहीं मरता, बस लोगों की आदत बदल जाती है, बहुत शोर मचाती है कुछ कहानियां, पर अंतिम में किसी के पैर के नीचे ही कुचली जाती है। एक दस्ता सांसें भर कर रह जाती है। कहते है चाहतों की दुनियां की सब भुला देती है, बेबसी बेकरारी अदाकारी भी मिटा देती है, बहुत गुरूर होता है लोगों को ख़ुद के होने का, ये उनके जीते जी उनका अस्तित्व मिटा देती है,