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ख़्वाहिश ख्वाहिशें तो है आसमान तक जाने की, मग़र हर

ख़्वाहिश ख्वाहिशें तो है आसमान तक जाने की,
मग़र हर दिन होसला टूट जाता है
जब जब अपनों का ही साथ छूट जाता है,

सोचती हूँ की कुछ तो हासिल कर ही लूँगी,
अपने दम पर आगे बढ़ ही लूँगी
मग़र हर बार ये कदम लड़खड़ा जाता है
जब प्रश्‍नों का पहाड़ सामने आता है,

खुद पर से भरोसा खोने लगती हूँ,
सवालों को सुन कर रोने लगती हूँ
नाकामयाबी पे अपने खुद से चिढ़ने लगी हूँ,
मैं खुद की ख्वाहिशों से ही नफ़रत करने लगी हूँ... ख्वाहिशें
ख़्वाहिश ख्वाहिशें तो है आसमान तक जाने की,
मग़र हर दिन होसला टूट जाता है
जब जब अपनों का ही साथ छूट जाता है,

सोचती हूँ की कुछ तो हासिल कर ही लूँगी,
अपने दम पर आगे बढ़ ही लूँगी
मग़र हर बार ये कदम लड़खड़ा जाता है
जब प्रश्‍नों का पहाड़ सामने आता है,

खुद पर से भरोसा खोने लगती हूँ,
सवालों को सुन कर रोने लगती हूँ
नाकामयाबी पे अपने खुद से चिढ़ने लगी हूँ,
मैं खुद की ख्वाहिशों से ही नफ़रत करने लगी हूँ... ख्वाहिशें