वो जमाना भी क्या था ना पेसौं की समस्या, ना कोई उलझन चाहत भी अपना था ओर मंजिल भी अपना वो शरारत भी प्यार का बड़े ही शिद्दत से मिला था अब तो प्रतिदिन समस्या ओर प्रतिदिन पेसौं का ही चाहत है।।