कई नादानियां होती थी बचपन में, तू हर भूल माफ करती थी, कभी भूल से मार दे कभी जो, फिर बाद में तू भी रो पड़ती थी... अपने कितने सपनों को सुला कर, छोटे उन सपनों को तूने जगाया था... माँ तेरे ही वजूद से, ये जहां है जगमगाया सा... माँ तेरे ही वजूद से, ये जहां है जगमगाया सा... - #दक्ष (दस्तक) #LOVEYOUMAAA!