मासूम "अदाओं" ने उसकी मुझे "दीवाना" कर दिया पल-पल उसको ही सोचने का "बहाना" कर दिया मस्त अपनी मौज में, अब इश्क़ से वास्ता कर दिया अकेल थे अब महफ़िल को "आशियाना" कर दिया दिल आ गया उन पर, हर 'दर्द' अब फ़ना कर दिया गाकर इश्क़ के नगमें गीतों को सूफियाना कर दिया अपनायी हर ग़म और खुशी, ज़िंदगी नाम कर दिया इबादत की तेरी, तेरे नाम को ख़ुदा का नाम कर दिया ♥️ Challenge-603 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ विषय को अपने शब्दों से सजाइए। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।