सर्द दिसंबर वाह दिसंबर अरे रे आह दिसंबर, हिय तड़पाता बिरह में सर्द दिगंबर। ओश की बूंदें हैं फिर आग लगाती, गुनगुनी है धूप मगर जलाता अंबर। ठिठुरन है या है रिस्तों का ठंडापन, या नयनो का चीन्हा अश्कों को है स्वंमवर। किटकिटाते दांत हड्डियों में रमा है कंपन, जम सा गया लगू बता तो सही अब कौन सा नंवर। वाह दिसंबर अरे रे आह दिसंबर। #nature #cold #season #december #rishte #kapkapi #thithuran