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*चाँद उसके आंगन में उतरा कैसे, टपकता रहा लहु का कत

*चाँद उसके आंगन में उतरा कैसे,
टपकता रहा लहु का कतरा कैसे।

जिंदगी भर जो मेरा हम साया रहा,
मुफ़्सीलि में मुझे देखकर गुज़ारा कैसे।

वो तो था पैसो से जिंदगी खरीदने वाला,
मगर जनाजे से आज वो भी उतरा कैसे।

सिकन्दर ने क्या नही किया घमंड के वेग में यारो,
मगर घमंड उसका सुधरा भी तो सुधरा कैसे।

जिंदगी बिता दी, जिसने मेरी परवरिश में
मैं ने उस मां की ममता को कुतरा कैसे।

तेरी माँ की दुआ है तो सब सलामत "विक्की"
माँ तेरे साथ है तो कोई खतरा कैसे।
 *विक्की यदाव शौर्य** चाँद और वो
*चाँद उसके आंगन में उतरा कैसे,
टपकता रहा लहु का कतरा कैसे।

जिंदगी भर जो मेरा हम साया रहा,
मुफ़्सीलि में मुझे देखकर गुज़ारा कैसे।

वो तो था पैसो से जिंदगी खरीदने वाला,
*चाँद उसके आंगन में उतरा कैसे,
टपकता रहा लहु का कतरा कैसे।

जिंदगी भर जो मेरा हम साया रहा,
मुफ़्सीलि में मुझे देखकर गुज़ारा कैसे।

वो तो था पैसो से जिंदगी खरीदने वाला,
मगर जनाजे से आज वो भी उतरा कैसे।

सिकन्दर ने क्या नही किया घमंड के वेग में यारो,
मगर घमंड उसका सुधरा भी तो सुधरा कैसे।

जिंदगी बिता दी, जिसने मेरी परवरिश में
मैं ने उस मां की ममता को कुतरा कैसे।

तेरी माँ की दुआ है तो सब सलामत "विक्की"
माँ तेरे साथ है तो कोई खतरा कैसे।
 *विक्की यदाव शौर्य** चाँद और वो
*चाँद उसके आंगन में उतरा कैसे,
टपकता रहा लहु का कतरा कैसे।

जिंदगी भर जो मेरा हम साया रहा,
मुफ़्सीलि में मुझे देखकर गुज़ारा कैसे।

वो तो था पैसो से जिंदगी खरीदने वाला,
vickyyadav9005

Vicky Yadav

New Creator