माना की दिल है मोम सा पर यूँ ही नही पिघलेगा तपिश बोसा-ए-यार की मिले तो पल में पिघलेगा इल्म है की पत्थर सा नज़र आता है जिस्म मेरा एक चोट तो मार के देख खून यहीं से निकलेगा रात काली है अमावस की तो गम क्या करना थोड़ा इंतज़ार तो करो चाँद यहीं से निकलेगा किस्से आशिक़ी के हमारे यूँ तो मशहूर कभी ना हुए पर जिक्र हमारा हुआ तो अफ़साना यहीं से निकलेगा कुछ बात ऐसी की कूचा-ए-यार में आना ना हुआ पर बाद मरने के जनाज़ा 'मौन' का यहीं से निकलेगा ढूंढ़ लेना इश्क़ की गलियों में कहीं यहीं खोया था दिल अब यहीं से निकलेगा... #ishq #yaar #tapish #maun #yqbaba #yqdidi