Nojoto: Largest Storytelling Platform

प्रतिध्वनि के मोल में तुम हो विदित संसार जैसे, न

प्रतिध्वनि के मोल में  तुम हो विदित संसार जैसे,
 न्याय में निर्दोष हो तब चीख के पर्याय कैसे ?

एक निराशा इंगितों में नाद करके जा रही थी,
 शक्ति के संकल्प पथ पर पीर वो ही गा रही थी ।
 वर्जना सी कामनायें वो ही जो थी लूप हममें,
 युगऋचा युगबोध को युगधर्म फिर समझा रही थी ।।

अवयवों के व्यय भुलक्कड़ से समर्पण भाव में थे,
 लाख श्रोता भीड़ में बस तुम मेरे अधिकार में थे ।
गीत के हम हैं रचयिता शब्द की नक्काश में तुम,
 मंच पर मुख से जो फूटी तुम उसी ललकार में थे । 

हरण की स्याही सँभाले जो हुकुम अँगड़ा गई थी ,
सत्ता तुम्हरी फिर क्यूँ हमसे तुमको ही लिखवा रही थी ।।
@"निर्मेय"

©purab nirmey #tumkohilikhna

#shaadi
प्रतिध्वनि के मोल में  तुम हो विदित संसार जैसे,
 न्याय में निर्दोष हो तब चीख के पर्याय कैसे ?

एक निराशा इंगितों में नाद करके जा रही थी,
 शक्ति के संकल्प पथ पर पीर वो ही गा रही थी ।
 वर्जना सी कामनायें वो ही जो थी लूप हममें,
 युगऋचा युगबोध को युगधर्म फिर समझा रही थी ।।

अवयवों के व्यय भुलक्कड़ से समर्पण भाव में थे,
 लाख श्रोता भीड़ में बस तुम मेरे अधिकार में थे ।
गीत के हम हैं रचयिता शब्द की नक्काश में तुम,
 मंच पर मुख से जो फूटी तुम उसी ललकार में थे । 

हरण की स्याही सँभाले जो हुकुम अँगड़ा गई थी ,
सत्ता तुम्हरी फिर क्यूँ हमसे तुमको ही लिखवा रही थी ।।
@"निर्मेय"

©purab nirmey #tumkohilikhna

#shaadi
nojotouser6307599924

.....

New Creator