________________ अपनों से अपनों को ये जुदा कुछ ऐसे कर रही कड़वाहट रिश्तों की आज कल ऐसे बढ़ रही होंठों पे मिठास दिलों में कड़वाहट , अपनापन तो पैसों की बाजारों में मतलवी लग रही खून के रिश्तों में भी अब धुंध-ही-धुंध छाई पैसों की चाह में जज़्बातों की बोलियाँ लग रही प्यार ,मोहब्बत, विश्वास,भरोसा ,इज्जत इन सब में विश्वासघात देखों कैसे जंक लगा रही रिश्तों में वो जुड़ाव जाने कहा खत्म हो गई सुना है Queen"हर किसी को अकेलेपन की लत लग रही ।। ♥️ Challenge-578 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ विषय को अपने शब्दों से सजाइए। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।