आया था इक लड़का, इक छोटे से गाँव से! किस्मत से था गरीब, पर मेहनत का था धनी!! आया था जेब में लेकर, सपने वो हजार! पर कैसे कहे किसी से, देने को वो रोजगार!! अंजान था वो, इस शहर के चका चोंध से! फिर एक रोज उसे, इक छोटी सड़क मिल गयी! उसे समझ आया, की ये रास्ता है सही!! सुबह ए शाम,वो झोंकता चला गया खुद को! आये हजार रुकावटें,पर वो समझाता रहा खुद को! करने हैं सपने पूरे, तो तुझे चलना ही पड़ेगा! काँटों से तुझे खुद ही, लड़ना भी पड़ेगा!! फिर इक रोज उसे, मंजिल भी मिल गयी! मिलते ही मंजिल, चारों ओर खबर भी फैल गयी!! हर किसी ने देखा, उसकी मंजिल को! पर किसी ने, उसके पैरों में चुभे कांटे नहीं देखे!! ©Shashank Singh #rojgaar #mehnat #life