राहें साथी रही है मेरी मंज़िल की रुकने नहीं दिया हौसला अफजाई ही की है चुभा कोई कांटा पैरों में कभी तो फूलों से बिछने की आजमाइश ही की है धूप तो छू ही नहीं पाई मुझको राहों ने खुद तपकर उसकी भरपाई ही की है राहें साथी रही है ....................... #invoice