रूह रूह की बेचैनियाँ, कब सुकून पाती है जिस्म तो खाक में मिल कर, जमींदोज हो जाता है रूह की बेचैनियाँ उसे, जन्म दर जन्म भटकाती है । #रूह #बेचैनियाँ #भटकन #सुकून #Myquote #MyPoems #mythoughts