वक़्त निकलता रहा रेत के मानिंद मुट्ठी से फिसलता रहा, ख़ुशियों की सुबह लिए वक़्त आएगा कभी , बस इसी गुमान में पल पल छलता रहा , दर्द संभलता रहा, वक़्त निकलता रहा ❤ प्रतियोगिता- 623 ❤आज की ग़ज़ल प्रतियोगिता के लिए हमारा विषय है 👉🏻🌹"वक़्त निकलता रहा"🌹 🌟 विषय के शब्द रचना में होना अनिवार्य है I कृप्या केवल मर्यादित शब्दों का प्रयोग कर अपनी रचना को उत्कृष्ट बनाएं I