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मधुरता उसकी बातों मै थी च्ंचलता जज्वतो मै थी धरत

मधुरता उसकी बातों मै थी 
च्ंचलता जज्वतो मै थी 
धरती की थी या कोई परी अम्बर की थी 
खुद मै खोयी रहती वो कोई अप्सरा थी 
शोख आदये  उस उसकी थी 
पूछने पर कहती मै तुम मै हू 
तुम से हू तुम तक ही हू 
समझ सको तो तुम से शुरु तुम पे खत्म हू 
बाते उसकी अलग थी 
श्याद वो कोई पहेली थी 
जितना सुलझाओ उलझती थी 
मधुरता उसकी बातों मै थी 
चंचलता जज्वतो मै थी

©POONAM SHARMA
  #जज्वात