#OpenPoetry बेटीयाँ* बेटीयो से ही संसार है बिन बेटीयाँ, ना कोई जीवन आकार है उलझ पढ़ी है यहां सोच सबकी जो चाहती बस, बेटो की कीलकार है कब जानोगे कब समझोगे बेटीयों की एहमियत सब समझोगे बेटीयो का होना ही ईश्वर का उपहार है बेटीयाँ ही मां लक्षमी का अवतार है _अविनाश दुबे । #OpenPoetry