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तुम्हें क्या पता शीतस ठिठुरन असहाय साँझ के सूरज का

तुम्हें क्या पता शीतस ठिठुरन
असहाय साँझ के सूरज का
मुठ्ठी में भिंच स्याह हो जाना
आँखों का हथेली पर ठहरना
आशा की अट्टालिकाओं का
धराशायी होना...खंडहर हो जाना
बेबस सिमटती उँगलियों पर
सर्द मौसम की बोझिल हवा में 
रक्त की गंध घुल जाना...
रक्त! हृदय की चेतना का
और दिवस की कल्पना का
सूर्य के अवसान का!
जलते हुए मसान का...
जहाँ शाश्वत है प्रीत अनन्त युगों से
और विचरता है चाँद 
ठिठुरता! सिहरता! रतजगे करता



 #toyou#yqmoon#yqlife#yqloveforlife#yqcold
तुम्हें क्या पता शीतस ठिठुरन
असहाय साँझ के सूरज का
मुठ्ठी में भिंच स्याह हो जाना
आँखों का हथेली पर ठहरना
आशा की अट्टालिकाओं का
धराशायी होना...खंडहर हो जाना
बेबस सिमटती उँगलियों पर
सर्द मौसम की बोझिल हवा में 
रक्त की गंध घुल जाना...
रक्त! हृदय की चेतना का
और दिवस की कल्पना का
सूर्य के अवसान का!
जलते हुए मसान का...
जहाँ शाश्वत है प्रीत अनन्त युगों से
और विचरता है चाँद 
ठिठुरता! सिहरता! रतजगे करता



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