कॉलेज में दाखिला लेने की होड़ मची थी थोड़ी देर, मैं पहुंचा था सब अपनी राह चल दिए थे मैं अब भी वहीं, लाइन में खड़ा था दाखिला लिया, हॉस्टल की राह चल दी डर और खुशी चल रही थी साथ मेरे। मिले कुछ लोग, जो नए पड़ोसी बने थे कुछ साथ के, कुछ ऊपर के पड़े थे किसी तरह वो रात, बस बीत गई खुशी के मारे नीद भी, कहीं मीत भई अभी भी कक्षा शुरू होने में दिन थे अगले दिन हॉस्टल की कक्षा में हम लीन थे मेल मिलाप का सिलसिला अब शुरू हो गया बढ़ते बढ़ते बढ़ जाएगा, यही दोस्त अब गुरू हो गया सीनियर ने भी रात भर बहुत पढ़ाया पढ़ते पढ़ते आंख नाक से खून निकल आया। वही पड़ोसी आज दोस्त बन गए हैं दोस्त से भी ज्यादा कहीं हम रम गए हैं बातों में एक दूसरे के गालियां ही निकलती हैं हर मुश्किलों में एक दूसरों की खातिर, तितलियां ही खिलती हैं नहीं आती याद घर की, खुशियां इतनी बटोरें हुए हैं ये दोस्त हैं, दोस्ती के लिए एक पैर पर खड़े रहे हैं उस दिन याद तुम्हारी बहुत आएगी अपनी जिंदगी में मशगूल होंगे सब गालियों की याद तुमको बहुत रुलाएगी। #कॉलेज और #दोस्त #दोस्ती #पड़ोसी #सिलसिला #हॉस्टल #yqdidi #yqhindi 𝘠ourQuote Didi Vaibhav Dev Singh