निगाहों से निगाहें मिलना और दिल का आ जाना। बड़ा ख़ूबसूरत होता है मुहब्बत का ऐसा फ़साना।। तकरारें, शिकवे, शिकायतें तो इश्क़ में लाज़मी हैं। क्या याद आता है सनम तुम्हे, वो मेरा मनाना।। डगर इश्क़ की आसान नहीं इस ज़ालिम दुन्या में। फ़िर भी किया था जो वादा तुमने, वो वादा निभाना।। तसव्वुरों में मेरे, तेरा आना जाना लगा रहता है। अबकी बार गर आना, तो आहिस्ता आहिस्ता आना।। रात चौदहवीं को जो हुआ था, तेरे मेरे बीच में। याद है मुझे वो मेरे लबों को तेरे लबों का दबाना।। चंद लम्हों की बात है और कुछ देर सही 'सफ़र'। इस बार जो थामूँगी हाथ तेरा देखेगा सारा ज़माना।। ♥️ Challenge-603 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ विषय को अपने शब्दों से सजाइए। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।