अक्सर लगता हैं, कि जीवन क्षणिक हैं, विश्राम करना चाहिए। अक्सर लगता है, वक्त कम है, कुछ खास करना चाहिए। अगले ही पल हृदय कहता है, तुम्हारा स्वप्न निरर्थक है। सब प्रयत्न व्यर्थ है, इधर! तब मानव ही मानव का हत्यारा है। बिन विचारे ही , हृदय से मैं प्रश्न कर बैठी तो सुधार, सम्मान, प्रेम जैसे शब्दों का छलावा क्यों है बाकी? जब शासन, सत्ता के भेट चढ़ जाएगी , आबादी। तो एक छत्र विश्व का कौन रहेगा अधिकारी? ©Ruksar Bano #nojotonewz #HumanityForAll #politicswar #AKSAR