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घूंघट की अब ओट से,झांक रहा वो प्रभाकर है। संभव है

घूंघट की अब ओट से,झांक रहा वो प्रभाकर है।
संभव है ठिठुरन लगी,या खेलता फिर दिवाकर है ।
ना रुकी रात कोई,ना अहसास ए दिन ही हुआ,
ढूंढते रहे हम सुबह से शाम नदारत दिनकर है।

शर्द सुबह की सुप्रभात मित्रो #Goodmorning #सुप्रभात #शर्दसुबह #लुकाछुपी
घूंघट की अब ओट से,झांक रहा वो प्रभाकर है।
संभव है ठिठुरन लगी,या खेलता फिर दिवाकर है ।
ना रुकी रात कोई,ना अहसास ए दिन ही हुआ,
ढूंढते रहे हम सुबह से शाम नदारत दिनकर है।

शर्द सुबह की सुप्रभात मित्रो #Goodmorning #सुप्रभात #शर्दसुबह #लुकाछुपी