भूले भी कोई कैसे प्राची की ये कहानी उगता हुआ ये सूरज चढ़ती हुई जवानी यों धूप से झुलसते माँगा था उसने पानी अल्हड़ नदी ने दी बेबाक़ सी रवानी अलमस्त ये तरंगे मुसलसल सी उसकी मानी वो रंग सोना-सोना वो बात पानी-पानी ढलती हुई सी रुत पे वो रख गया निशानी आई है जिसके दम से शब पे ये शादमानी गाती है हर सहर ये गीत खुद ज़ुबानी दिलनशीं फ़साना दिलकश सी वो कहानी #cloudsandrain