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न जाने यूँ तो हम कितने आगे आ गए... मगर मेरा बचपन

न जाने यूँ तो हम कितने आगे आ गए... 
मगर मेरा बचपन आज भी उन गलियारों में कर रही है मेरा इतंज़ार...
जहाँ एक छोर पे हर कदम खुद को संभाल कर चलाने की करता हूँ मैं कोशिश...
वहीं दूसरी छोर पे मेरा दिल हर कदम पे गिर कर खुद को उठाने को है बेकरार...
मगर अब न जाने क्यों उन गलियारों में हमेशा सन्नाटे का शोर सुनाई पड़ता है मुझे...
लगता है जैसे अब कोई कह रहा हो, ओए! यहाँ कोई ना मिलेगा तुझे...
पर मेरा घर तो ठीक उन गलियारों के आखरी मोड़ पर है, यह सोचकर हुआ मेरा दिल बेचैन...
मगर अगले ही पल जब मेरे माँ- बाबा का चेहरा याद आया मुझे, 
तब मेरे दिल को पड़ा चैन...
आई एक आवाज़ अन्दर से.. कि कर रहे हैं वो मेरा इन्तज़ार पकड़ के अपने सब्र का डोर...
तो चला ये परिंदा अपने आसरे के तरफ... उड़ाके अपनी सारी परेशानियों को हवा की ओर... #NojotoQuote चला ये परिंदा अपने आसरे के तरफ
Satyaprem Mukesh Poonia @j_$tyle nidaaghji Er. Soumya Sharma
न जाने यूँ तो हम कितने आगे आ गए... 
मगर मेरा बचपन आज भी उन गलियारों में कर रही है मेरा इतंज़ार...
जहाँ एक छोर पे हर कदम खुद को संभाल कर चलाने की करता हूँ मैं कोशिश...
वहीं दूसरी छोर पे मेरा दिल हर कदम पे गिर कर खुद को उठाने को है बेकरार...
मगर अब न जाने क्यों उन गलियारों में हमेशा सन्नाटे का शोर सुनाई पड़ता है मुझे...
लगता है जैसे अब कोई कह रहा हो, ओए! यहाँ कोई ना मिलेगा तुझे...
पर मेरा घर तो ठीक उन गलियारों के आखरी मोड़ पर है, यह सोचकर हुआ मेरा दिल बेचैन...
मगर अगले ही पल जब मेरे माँ- बाबा का चेहरा याद आया मुझे, 
तब मेरे दिल को पड़ा चैन...
आई एक आवाज़ अन्दर से.. कि कर रहे हैं वो मेरा इन्तज़ार पकड़ के अपने सब्र का डोर...
तो चला ये परिंदा अपने आसरे के तरफ... उड़ाके अपनी सारी परेशानियों को हवा की ओर... #NojotoQuote चला ये परिंदा अपने आसरे के तरफ
Satyaprem Mukesh Poonia @j_$tyle nidaaghji Er. Soumya Sharma