भीड़ में होकर भी वह तन्हा रह जाता है । आंखों में कुछ सपने लेकर हौसला वो जुटाता है । है गरीबी उसकी मजबूरी फिर भी कुछ नही कह पाता है । भूखे पेट हो या पांव में छाले वह मेहनत से जी नहीं चुराता है । अपने खून पसीने से , दूसरों का छत बनाता है । वो मजदूर है साहब उसे नखरें दिखाना नहीं आता है । । - नंदसाय यादव मजदूर...ये शब्द ही काफी है उन्हें बयां करने के लिए #Hope #Life #thoght #hardwork #home #Jindagi #ekdastan #mjburi #majdur