देख लाे जाना जाे शुरू-ए-दाेस्ती मे तेरे हमराज हुआ करते थे वाे तेरे हमरक्स ताे नहीं हाे रहे है क्याेंकि,ये ईश्क का भ्रम भी ईश्क से कम नहीं है दाेस्ती की आड़ में पनप रही सच्ची माेहब्बत ताे नहीं है दाेस्ती हीं ताे प्यार की पहली सीढ़ी है💕💕 ख़ुर्शीद-बे-इश्राक़— सूरज की रोशनी कब्ज़ा—पकड़ फ़िक्र-ए-ख़िदमत—चिंता और कर्तब्य "मैंने हथेलियों में सूरज की रोशनी को कैद कर लिया है यह कसूर कर बैठी हूँ उसके चिंता और कर्तव्य को इश्क़ समझे कि भूल कर ली हूँ" कभी-कभी हम जो सोचते हैं वह नहीं होता है 😊जरूरी नहीं कि कोई आप की फ़िक्र कर रहा हो तो वह आपसे प्रेमी वाला इश्क़ कर रहा हो 😂 अरे जनाब वह अपने मित्र होने के कर्तव्य का पालन कर रहा है, कोई