Nojoto: Largest Storytelling Platform

रहमते तेरी :- कैसे बयां करू तेरी दास्तां ए रहमते,

रहमते तेरी :-
कैसे बयां करू तेरी दास्तां ए रहमते,
की अल्फाज कम पड़ जाते  है।
जिदंगी का हर पन्ना तेरी रहमतों से ही तो भरा है।
खुदको अकेला पाता हू जब भी जिंदगी की कश्मकश में,
महसूस करता हू तेरी रहमतो को के आसपास है तू यहीं।
असर तेरी रेहमतो का कुछ इस कदर है,
बिन डोर खींचा चला आता हूं तेरी ओर यू ही।

 #Rehmate teri
#Shukrana
#Anubhav ki kalam se
रहमते तेरी :-
कैसे बयां करू तेरी दास्तां ए रहमते,
की अल्फाज कम पड़ जाते  है।
जिदंगी का हर पन्ना तेरी रहमतों से ही तो भरा है।
खुदको अकेला पाता हू जब भी जिंदगी की कश्मकश में,
महसूस करता हू तेरी रहमतो को के आसपास है तू यहीं।
असर तेरी रेहमतो का कुछ इस कदर है,
बिन डोर खींचा चला आता हूं तेरी ओर यू ही।

 #Rehmate teri
#Shukrana
#Anubhav ki kalam se