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सोचा था माँ के लिए कुछ लिखूँ पर दुनिया का हर शक़्स

सोचा था माँ के लिए कुछ लिखूँ
पर दुनिया का हर शक़्स माँ की लिखावट है।
मैं उसके लिए कैसे लिख सकता हूँ?

बदन की सारी हड्डियाँ टूटे एक साथ
उससे ज्यादा दर्द सहकर मुझे दुनिया में लायी है।
मैं उसके लिए कैसे लिख सकता हूँ?

रब के मुकाबले का कोई शख्स जमीं पर है
इस बात से रब भी परेशाँ है।
मैं उसके लिए कैसे लिख सकता हूँ?

दुनिया के हर शख्स के प्यार से माँ का प्यार तौला
उसका प्यार नौ महीने ज्यादा ही है।
मैं उसके बारे में कैसे लिख सकता हूँ?

माँ शब्द खुद में ही एक जन्नत है
मैं उसके लिए कैसे लिख सकता हूँ?

©Vinnu मैं उसके लिए कैसे लिख सकता हूँ?
inspired by Manoj muntashir Sir poem
#hindiwriters #hindi_poetry 
#nojohindi #firtspost #maa 
#MothersDay2021
सोचा था माँ के लिए कुछ लिखूँ
पर दुनिया का हर शक़्स माँ की लिखावट है।
मैं उसके लिए कैसे लिख सकता हूँ?

बदन की सारी हड्डियाँ टूटे एक साथ
उससे ज्यादा दर्द सहकर मुझे दुनिया में लायी है।
मैं उसके लिए कैसे लिख सकता हूँ?

रब के मुकाबले का कोई शख्स जमीं पर है
इस बात से रब भी परेशाँ है।
मैं उसके लिए कैसे लिख सकता हूँ?

दुनिया के हर शख्स के प्यार से माँ का प्यार तौला
उसका प्यार नौ महीने ज्यादा ही है।
मैं उसके बारे में कैसे लिख सकता हूँ?

माँ शब्द खुद में ही एक जन्नत है
मैं उसके लिए कैसे लिख सकता हूँ?

©Vinnu मैं उसके लिए कैसे लिख सकता हूँ?
inspired by Manoj muntashir Sir poem
#hindiwriters #hindi_poetry 
#nojohindi #firtspost #maa 
#MothersDay2021
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