*जज्बात* खुसी से खुसी- खुसी मिलने गए हम, न वक़्त का अहसास सिर्फ उसका इंतजार था, यादों का मंजर और सामने मजार था, बस दो चार बातों में उसने कहा, अब देर हो चुकी है कभी तेरा इंतजार था, हम यूँ खड़े बस देखते ही देखते7 गए, हमसे उलझन है उन्हें ये सोंचते हम रह गए,