#लकीरें ये लकीरें बता रही हैं मंज़िल मुझे राहों की, ये लकीरें प्रमाण हैं मेरी चल रही साहों की, चलता जा रहा हूं मैं इन सफेद धब्बों के साथ, चाँद भी निकल आया है और गहराती जा रही है ये रात, पता नहीं किस मोड़ पर छोड़ जाए ये लकीर मुझे, बनाएगी कोई शहंशाह या बनाएगी कोई फकीर मुझे, पर फिर भी मैं इन राहों को नाप रहा हूं, मन में एक अजीब-सा डर है मेरे और मैं काँप रहा हूं, इतने में ज़हन में मेरे एक ख्याल आया, जिसका जवाब देना मुश्किल है, ऐसा एक सवाल आया, क्या केवल लकीर ही हमारे भविष्य का आधार है?, जिनके पास हस्त और वो हस्तरेखाएं नहीं, क्या उनका जीवन निराधार है?, वो भी बहुत कुछ करते हैं, जिनके पास हाथ नहीं, जज़्बा और जुनून होता है उनके अंदर, करते वो हार मानने की बात नहीं, इससे स्पष्ट है कि जब मन से टूट जाता है तब हारता है इन्सान, मन से मज़बूत तो बनते हैं महान, इसलिए इन रेखाओं पर विश्वास कर लेना कोई ज्ञान नहीं, और जो इन चंद लकीरों के सहारे बिता देते हैं ज़िंदगी अपनी, झुकता फिर उनके कदमों में ये जहान नहीं। #lakeeren