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कता:- बेजुबां बेशक मैं नजर आता हूं। दुश्मनों के भी

कता:-
बेजुबां बेशक मैं नजर आता हूं।
दुश्मनों के भी मगर दिल में उतर जाता हूं।।
गैर के बल पे सूरज नहीं बनूंगा राना।
मैं तो दीप हूं अंधेरे में टिमटिमाता हूं।।
***
:- राजीव नामदेव
 "राना लिधौरी"
टीकमगढ़ #OpenPoetry शायरी
कता:-
बेजुबां बेशक मैं नजर आता हूं।
दुश्मनों के भी मगर दिल में उतर जाता हूं।।
गैर के बल पे सूरज नहीं बनूंगा राना।
मैं तो दीप हूं अंधेरे में टिमटिमाता हूं।।
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:- राजीव नामदेव
 "राना लिधौरी"
टीकमगढ़ #OpenPoetry शायरी