ख़्वाब तुम्हारे अपने सिराहने, अक्सर रखकर सोता हूं मैं......... हर रात सिसक-सिसक कर, तुम्हारी यादों में रोता हूं मैं.......... अपनी हर महफ़िल में तुम्हारी, बेहिसाब तारीफ़ें करता हूं मैं....... तुम्हें ऐसे बदनाम करने वाला, आखिर कौन होता हूं मैं............ ©Poet Maddy ख़्वाब तुम्हारे अपने सिराहने, अक्सर रखकर सोता हूं मैं......... #Dreams##Sobbing#Night#Memories#Gathering#Praise#Defame........