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साधन जीवन के उद्देश्य और लक्ष्य को धारण करने वाला

साधन जीवन के उद्देश्य और लक्ष्य को धारण करने वाला मानव ही इस शरीर को धन्य कर सकता है खाना पीना सोना जागना चलना फिरना यह काम तो सभी जीव जंतु करते हैं पेट की चिंता करते करते सुख समृद्धि की चिंता में लिप्त होना जीवन नहीं है यह साधना हो सकता है साथ दे नहीं साधना को साध्य मान लेना कोई समझदारी नहीं है किस तरह हर काम को कर्म नहीं किया जा सकता जो काम जीवन के लिए सार्थक हो वही करम है सब कर्म को ही कर्म माना माना जाए जो की सभ्यता का धर्म है इसलिए कर्म के महत्व को समझने और उसे करने में ही जीवन के उद्देश्य को पूर्ण किया जा सकता है और इन उद्देश्यों की पूर्ति ही लक्ष्य प्राप्ति का साधन है आधार कुछ भी करते रहना यह उद्देश्य नहीं है जीवन का रहस्य यही है कि लक्ष्य की ओर निरंतर आगे बढ़ते रहना चाहिए वह पृथक अपने लक्ष्य का साधना करने में समर्थ है जो धर्म का ग्रहण करने का अधिकारी है लक्ष्य हॉकी पुणे जन्म ना मिले बल्कि भवसागर से मुक्ति मिले बार-बार मृत्यु लोक में अवगत से सदैव के लिए छुटकारा मिले प्रेम योग एवं भक्ति योग नामक दो पतवार हैं जिनकी मदद से जीवन मौका से पार उतर जा सकती है लेकिन अधिकांश मानव जब तक इस सत्य का दर्शन करते हैं तब तक वह बहुत दूर जा चुके होते हैं अंत समय में उनको पता चलता है कि जो साधन रूपी यह शरीर मिला था उसका उन्होंने नीरा दुरुपयोग के किया अंत काल में पछतावा करने से कुछ नहीं मिल सकता इसलिए आज समय और शरीर का सच्चा उपयोग यही है कि परम लक्ष्य को पाने के लिए निरंतर प्रयास किया जाए आत्मा तक पहुंचने की सफलता में कर्म धन का साधन है इसमें साधन और लक्ष्य साधना से लक्ष्य की ओर बढ़ना जीवन का धैर्य वन और शरीर की यात्रा से में आत्मा का परमात्मा से मिलन संभव हो जो की प्रथम अवस्था ही नहीं

©Ek villain #Sadna 

#BuddhaPurnima2021
साधन जीवन के उद्देश्य और लक्ष्य को धारण करने वाला मानव ही इस शरीर को धन्य कर सकता है खाना पीना सोना जागना चलना फिरना यह काम तो सभी जीव जंतु करते हैं पेट की चिंता करते करते सुख समृद्धि की चिंता में लिप्त होना जीवन नहीं है यह साधना हो सकता है साथ दे नहीं साधना को साध्य मान लेना कोई समझदारी नहीं है किस तरह हर काम को कर्म नहीं किया जा सकता जो काम जीवन के लिए सार्थक हो वही करम है सब कर्म को ही कर्म माना माना जाए जो की सभ्यता का धर्म है इसलिए कर्म के महत्व को समझने और उसे करने में ही जीवन के उद्देश्य को पूर्ण किया जा सकता है और इन उद्देश्यों की पूर्ति ही लक्ष्य प्राप्ति का साधन है आधार कुछ भी करते रहना यह उद्देश्य नहीं है जीवन का रहस्य यही है कि लक्ष्य की ओर निरंतर आगे बढ़ते रहना चाहिए वह पृथक अपने लक्ष्य का साधना करने में समर्थ है जो धर्म का ग्रहण करने का अधिकारी है लक्ष्य हॉकी पुणे जन्म ना मिले बल्कि भवसागर से मुक्ति मिले बार-बार मृत्यु लोक में अवगत से सदैव के लिए छुटकारा मिले प्रेम योग एवं भक्ति योग नामक दो पतवार हैं जिनकी मदद से जीवन मौका से पार उतर जा सकती है लेकिन अधिकांश मानव जब तक इस सत्य का दर्शन करते हैं तब तक वह बहुत दूर जा चुके होते हैं अंत समय में उनको पता चलता है कि जो साधन रूपी यह शरीर मिला था उसका उन्होंने नीरा दुरुपयोग के किया अंत काल में पछतावा करने से कुछ नहीं मिल सकता इसलिए आज समय और शरीर का सच्चा उपयोग यही है कि परम लक्ष्य को पाने के लिए निरंतर प्रयास किया जाए आत्मा तक पहुंचने की सफलता में कर्म धन का साधन है इसमें साधन और लक्ष्य साधना से लक्ष्य की ओर बढ़ना जीवन का धैर्य वन और शरीर की यात्रा से में आत्मा का परमात्मा से मिलन संभव हो जो की प्रथम अवस्था ही नहीं

©Ek villain #Sadna 

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